ताश के पत्तों में छिपा भविष्य
ताश के पत्तों में छिपा डाॅ कमल प्रकाश अग्रवाल ताश के पत्तों की संख्या बावन निर्धारित की गई है। कुछ लोगों ने चंद्र वर्ष के साथ इसका मिलान भी किया है। इस तरह बारह शाही पत्ते वर्ष के बारह महीनों के प्रतीक हैं। काला और लाल रंग कृष्ण और शुक्ल पक्षों का प्रतिनिधित्व करते हैं। बावन पत्ते वर्ष के बावन सप्ताह हैं। चार रंग चार ऋतुएं हैं। यदि गुलाम को ग्यारह, बेगम को बारह और बादशाह को तेरह तथा जोकर को एक माना जाए, तो अंकित चिह्नों का योग 365 के बराबर होता ह श से भविष्य बताने की विधि इस प्रकार है: इक्का, बादशाह, बेगम, गुलाम, दहला, नहला, अट्ठी तक के चारों रंग के अट्ठाइस पत्ते पहले छांट लिए जाएं। फिर जिसे अपना भविष्य ज्ञात करना हो, वह, जब तक उसकी इच्छा हो, तब तक पत्तों को मिलाए। बाद में जब वह मिलाना बंद कर दे, तब उससे कुछ पत्ते बायें हाथ से (यदि वह बायें हाथ से लिखने आदि का काम करता हो, तो दायें हाथ से) उतरवा (कटवा) लेने चाहिए। फिर जो पत्ते उतारे गए हैं, उनके ऊपर बाकी बचे हुए पत्ते, एक ही गड्डी बना कर, रख लेने चाहिए तथा क्रमशः ऊपर से नीचे की ओर का एक-एक पत्ता आखिर तक नोट कर लेना चाहिए। नोट करने के लिए सांकेतिक भाषा का प्रयोग किया जाए और पहली बार जो पत्ते खींचे गए, उन्हें ही नोट करना चाहिए, क्योंकि उन्हीं से सही भविष्य कथन किया जा सकता है। अतः उसका महत्व जन्मपत्रिका की तरह होता है। यदि इसके साथ जन्मपत्री (कुंडली) तथा हस्त रेखा का अध्ययन किया जाए, तो भविष्य कथन और भी सही हो सकता है। इसमें सामान्य रूप से यह मान्यता काम करती है कि अट्ठी और गुलाम वाले वर्ष साधारण होते हैं। बादशाह वाला वर्ष सवश्र्र ष्े ठ हाते ा ह।ै अटठ् ाइस पत्ते क्रमशः एक-एक साल के द्योतक हैं। उनतीस साल का भविष्य जानने के लिए फिर से पहले पत्ते को उन्नीसवां साल मानना होगा। इसके पीछे वही सिद्धांत काम करता है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। नतीजतन जिस साल बादशाह का पत्ता आता है, उस साल प्रायः श्रेणी अथवा स्थान का अंक प्राप्त होना सरल होता है। यह भी देखने में आता है कि अट्ठी और गुलाम के पत्तों में प्रायः कन्या संतान ही पैदा होती है। बादशाह और अन्य पत्तों में पुत्र संतान की प्राप्ति अधिक होती है। बेगम वाले भविष्यों में विवाह के योग अधिक बनते देखे गये हैं। पत्रिका की दशा भी इसमें आश्चर्यजनक रूप से सही उतरती है, क्योंकि तुलनात्मक अध्ययन करने पर यह भी पाया गया कि बादशाह वाले वर्षों में श्रेष्ठ अंतर्दशा निश्चित रूप से आती है। अट्ठी या गुलाम के वर्षों में साधारण दशाएं आती हैं तथा अट्ठी-गुलाम के वर्षों में शारीरिक, मानसिक व आर्थिक परेशानी, किसी बुजुर्ग की मृत्यु, नौकरी से निलंबन, धोखा, हानि जैसी घटनाएं होती हैं। प्रति माह का फल भी इससे ठीक उतरता है। उसके लिए वर्ष वाले पत्ते से एक-एक पत्ता छोड़ देने पर वर्ष वाले माह के बाद आगे के फल मिलते चले जाते हैं। दिन-प्रतिदिन के भविष्य के लिए जन्म तारीख से ले कर आगे के दिन लगातार गिनने चाहिए। बादशाह वाले भविष्यों में व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होने की संभावना रहती है, महत्वपूण्र् ा कार्य होते हैं और ऐसे व्यक्तियों से संपर्क होता है, जो उसके कार्य में सहायक सिद्ध होते हैं। महत्वपूण्र् ा पत्र की प्राप्ति, नौकरी, पुत्र प्राप्ति आदि शुभ घटनाएं इसमें होती देखी गई हैं। उन्नति तथा आर्थिक लाभ भी होते देखा गया है। शेष पत्तों में 50 से 60 प्रतिशत तक लाभ होते देखा गया है। अट्ठी और गुलाम के पत्तों वाले मास और वर्ष के दिन में बदपरहेजी, बड़े जोखिम, बड़े लेन-देन, बहसबाजी, वाहन को तेज गति से वाहन चलाने आदि से बचना चाहिए। ताश के द्वारा स्वभाव का ज्ञान स्वभाव जानने के लिए पत्तों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है: बेगम वाले, अट्ठी या बादशाह वाले और शेष अन्य पत्तों वाले। स्वभाव जानने के लिए पहले आधे क्रम को नोट कर के केवल सात पत्तों को ले कर, अथवा पूरे अट्ठाइस पत्तों को पीस कर उलटा बिछा दें। जिस पत्ते को व्यक्ति उठाए, उससे स्वभाव बताना चाहिए। जो व्यक्ति बेगम को अधिक महत्व देता है, वह समन्वयवादी, सुधारवादी और आशावादी होता है। अट्ठी या बादशाह को महत्व देने वाला व्यक्ति अति भावुक, तुनुक मिजाज, बाहर से कठोर किंतु अंदर से नर्म और सिद्धांतवादी होता है।

Comments

Popular posts from this blog

"Romantic rocks - Gemstones for love & relationships."

Cancer Ascendant